सिसकता - शैशव
भारी बस्ते के बोझ ने है ,
शैशव छीन लिया । --- 2
पाश्चात्य सभ्यता की आंधी में
बचपन खो गया ।
भारी बस्ते -- - - -- - - - - - भूल गया वह आम के झूले,
और श्यामा का रंभाना
याद नहीं दादी की लोरी,
माँ का गीत सुनाना ॥
दुआ प्रणाम को छोड़ किनारे
आहा! बन गया हाय ।
कुशल क्षे म है नही किसी की ,
करते गुड - डे गुड बाय ॥
स्पर्धा की...