मेरे महबूब...
वो फूल हूं मैं जां मेरी, जो तेरे दिल में खिलता है।
बैचैन हूं मैं रात भर, और दिन जैसे-तैसे कटता है।
उन्माद जो सुनते हो तुम ख्वाब में खोकर,
वो उन्माद मेरी जां, मेरे पायल से बहता है।
आशिक हो तुम, इश्क़ लिखते हो तुम,
ये इश्क़ एक नशा जो इस लब पे ठहरता है।
मदहोश होने वाले सिर्फ तुम नहीं इस लब पे,
मेरे महबूब, मेरे महबूब, तेरा...
बैचैन हूं मैं रात भर, और दिन जैसे-तैसे कटता है।
उन्माद जो सुनते हो तुम ख्वाब में खोकर,
वो उन्माद मेरी जां, मेरे पायल से बहता है।
आशिक हो तुम, इश्क़ लिखते हो तुम,
ये इश्क़ एक नशा जो इस लब पे ठहरता है।
मदहोश होने वाले सिर्फ तुम नहीं इस लब पे,
मेरे महबूब, मेरे महबूब, तेरा...