...

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दो पल कि ख्वाहिश ।
ना चादर बड़ी कीजिए ,
ना ख्वाहिश बड़ी कीजिए,
बस चार दिन की जिन्दगी है ,
बस चैन से बसर कीजिए।
ना परेशान किसी को कीजिए,
ना हैरान किसी को कीजिए,
कोई लाख गलत भी बोले ,
बस मुस्कुरा कर छोड़ दीजिए ।
ना रूठा किसी से कीजिए,
ना झूठा वादा किसी से कीजिए,
कुछ फुरसत के पल निकालिए,
कभी खुद से भी मिला कीजिए।।