...

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स्पष्टता
जिसने पूरा जीवन प्रतिशोध और प्रतिस्पर्धाओं मे गुज़ाऱ दिया हो.
क्या वो किसी लघु सत्य क़ो स्पष्ट शब्दों मे. कह पायेगा?

जिसकी आत्मा की समुचि गंध ईर्षा के दंश से ग्रसित हो.
क्या कभी वो स्पर्श की. दैविक अनुभति का
अहसास कर पायेगा?