सुबह का पढ़ा दोपहर तक भूल जाना.....
सुबह का पढ़ा
दोपहर तक भूल जाना
रात होते होते
दिमाग से सब उड़ हो जाना
क्या मैं अकेली
जिसके साथ ऐसा होता
या और भी हैं
जिनका खुला है ऐसा खाता?
हद तो तब हो जाती है
जब परीक्षा के समय
आता हुआ भी सब है भूल जाना
और वहीं बैठे बैठे
अपने ख्यालों में ही डूब जाना
क्या...
दोपहर तक भूल जाना
रात होते होते
दिमाग से सब उड़ हो जाना
क्या मैं अकेली
जिसके साथ ऐसा होता
या और भी हैं
जिनका खुला है ऐसा खाता?
हद तो तब हो जाती है
जब परीक्षा के समय
आता हुआ भी सब है भूल जाना
और वहीं बैठे बैठे
अपने ख्यालों में ही डूब जाना
क्या...