...

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ये क्या किए जा रहा हु मैं?
ये क्या किए जा रहा हु मैं?
किसी के दिल में राह का तो पता नहीं,
अपने दिल में जरूर सूराख़ किए जा रहा हु मैं।

वो बहुत प्यारी है तो क्या हुआ?
शायद वो मेरे नसीब में तो नहीं,
दुखो की नींव जरूर गहरी किए जा रहा हु मैं।

क्यू बुनता हू मैं झूठे सपने?
जिन का मुकम्मल होना मुश्किल है,
कुछ हसीन गुनाह किए जा रहा हु मैं।

ख्वाब बुनना गलत तो नहीं?
हो या ना हो भविष्य में,
जीने के लिए बहाने जरूर किए जा रहा हु मैं।
© Bunty Dholpuria