...

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जीवन की दौड़ में........
यहां जीवन की दौड़ में उलझनें बहुत है
गुजरते हुए वक़्त की शिकायतें बहुत है
ज़िंदगी में संघर्षों की इक अलग कहानी
आज - कल कश्मकश की हदें बहुत है

जीवन के हर मोड़ पे नया इम्तिहान खड़ा
भाग-दौड़ भरी जिंदगी में रंजिशें बहुत है
कभी धूप तो कभी छांव की तरह जीवन
यहां हाल-ए-हालातों की मुश्किलें बहुत है

लबों पे गुजरती हुई उम्र का इक ज़िक्र ऐसा भी
सुना है यहां जीवन की दौड़ में आफ़तें बहुत है
ज़िंदगी के खेल तमाशे हजारों में होने लगें यहां
सवालों के उतार - चढ़ाव की महफ़िलें बहुत है

यूं ही नहीं सांसों का यहां हिसाब-किताब होता
उलझीं सुलझी जीवन की दौड़ में मुद्दतें बहुत है
खुद को गिराकर अब संभलना यहां आसान नहीं
चारों तरफ बदलती हुई बातों की रंगतें बहुत है

ज़िंदगी से ज़िंदगी की दास्तां कोई नहीं पुछता
आज कल जीवन की दौड़ में हसरतें बहुत है
चढ़ते हुए क़र्ज़ की कीमत चुका रही ये ज़िंदगी
यहां भाग-दौड़ भरे वक़्त में ज़हमतें बहुत है

© Ritu Yadav
@My_Word_My_Quotes