...

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'एक टूटा हुआ आदमी'
बढ़ती उम्र के साथ,
बढ़ती है निराशा।
सपनें-
जिनको पूरा होते
सोचने भर से,
कभी रोमांच हो जाता था।
वो सपनें, बढ़ती उम्र के साथ
एक-एक कर,
मरती जाती हैं।
अपने सपनों को यूं मरते देख,
आदमी लगभग मर हीं जाता है।
या फिर बच जाता है,
'एक टूटा हुआ आदमी'।

© prabhat