...

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मैं शांत सा उड़न खटोला
#विश्व_कविता_दिवस

मैं शांत सा उड़नखटोला ,
हवाओं में बह रहा ।
हाथ मेरे पंख समान ,
मैं परियों के साथ उड़ रहा।

बहती हवाई मुझे रोकना चाहे ,
पर जिद है आगे बढ़ने की ।
चील जैसा परिंदा हूं मैं ,
है दृढता ऊपर उठने की।

यह बहती बयारे
बहुत कुछ बता रही ।
जीने का कला सिखाती हैं ,
इसलिए तो यह बारे
इतना मुझे भाती हैं।

मौलिकता का उपदेश देती,
आओ कुछ ज्ञान तुमसे बाटुँ मै।
दृढ़ संकल्प और कर्मठ जीवन,
मेरा यही सार ,
सच्चा बताऊं मैं।
© श्रीहरि