...

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तड़प
तड़प...
सुना हैं जग तेरे बिन
टुकड़ो मैं न सिखी जिना तेरे बिन....
बस बहुत हुई मनमानी.... 
अब न मांनुगी तेरी ये खुदगर्जी... पास बुलाया सिन्हे से लगया.... 
आंग को अपने लबों से नहलाया... 
सितारों को मेरे आखौं...