...

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यादें
यह जीवन है यादों का भंडार,
याद उस बचपन की आती है
मां का दुलार और पापा का प्यार,
दादा दादी के बीच था मेरा संसार।

कठिन से कठिन विपत्ति क्यों न हो
चाहे खिलौने टूटे चाहे कांटे चुभे,
चाहे ‍‌किताब फटे, चाहे कड़वी बात
भैया दौड़कर पकड़ते थे हाथ।

वक्त बदला ,नजरिया बदला
हर याद को पीछे छोड़कर,
नन्ही सी जान हुई बेहाल
सुलझता नहीं संसार का जाल

जीवन की इस पाठशाला में
सीखा उन जजबातो को,
जो छूटा पीछे वही है याद
सच है मगर नहीं मेरे साथ।