...

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"खुद"
रो ले जो भरा है,
बह जाएगा,
बहुत कुछ सिमटते देखा है।

जी ले जो जीना है,
कुछ रह जाएगा,
भरा भी खाली देखा है।

ना कर समझौते उम्मीद के परे
मर जाएगा,
झुके कंधे "खुद" का बोझ उठाते देखा है।।
© सांवली (Reena)