दुनिया कि सच्चाई
सबको जो साथ लेकर
चल रहा था में
सभी तो बच जाते
रास्तों पर गिर रहा था में
सभीे कि मुस्किलो को दूर करता था
जो हर वक्त
दोस्त पूछते थे सिर्फ काम से
वक्त और वेवक्त
जब गुजरा मुश्किलो से में
नहीं एक हाथ भी आया
दुखों को बाटने नहीं
नहीं कोई साथ में आया
दुखों में था मगर
पूछा किसी हाल तक नहीं
क्या हुआ पूछा किसी ने सबाल तक नहीं
लगे जो जख्म तो अपनो के हाथों में नमक था
गिरा जो खाई में वह हाथ दोस्ती का सबक था
मैं जो अजाब से गुजरा
और एक जो दौर आया था
जिन कि मद्दद की
जिन्हें अपना समझा उन्हीं कि ओर से आया था
नहीं कोई अपना होता हैं
नहीं कोई दोस्त होता हैं
सुख में सब साथ रहते हैं
दुख मे नहीं कोई रोता है
जब बुरा वक्त आता
सबका भान होता हैं
माँ बाप भाई बहन का ही
साथ होते हैं
यही परिवार है जिसको हमारी परवाह होती हैं
खुशी में साथ हॅंसते है
दुख में साथ होते हैं ।
© Satyam Dubey
चल रहा था में
सभी तो बच जाते
रास्तों पर गिर रहा था में
सभीे कि मुस्किलो को दूर करता था
जो हर वक्त
दोस्त पूछते थे सिर्फ काम से
वक्त और वेवक्त
जब गुजरा मुश्किलो से में
नहीं एक हाथ भी आया
दुखों को बाटने नहीं
नहीं कोई साथ में आया
दुखों में था मगर
पूछा किसी हाल तक नहीं
क्या हुआ पूछा किसी ने सबाल तक नहीं
लगे जो जख्म तो अपनो के हाथों में नमक था
गिरा जो खाई में वह हाथ दोस्ती का सबक था
मैं जो अजाब से गुजरा
और एक जो दौर आया था
जिन कि मद्दद की
जिन्हें अपना समझा उन्हीं कि ओर से आया था
नहीं कोई अपना होता हैं
नहीं कोई दोस्त होता हैं
सुख में सब साथ रहते हैं
दुख मे नहीं कोई रोता है
जब बुरा वक्त आता
सबका भान होता हैं
माँ बाप भाई बहन का ही
साथ होते हैं
यही परिवार है जिसको हमारी परवाह होती हैं
खुशी में साथ हॅंसते है
दुख में साथ होते हैं ।
© Satyam Dubey