आतिश-ए-इश्क़
आतिश-ए-इश्क़ जलाये बैठे हैं
अपना सब्रो करार लुटाये बैठे हैं
बाद तेरे अब कोई नहीं आयेगा
यह अहदो 'अज़्म उठाये बैठे हैं
देखते हैं ज़माना...
अपना सब्रो करार लुटाये बैठे हैं
बाद तेरे अब कोई नहीं आयेगा
यह अहदो 'अज़्म उठाये बैठे हैं
देखते हैं ज़माना...