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मेरी कलम से✍️
मै लिखता वही हूँ जो मेरे अनुभव है
मै सोचता वही हूँ जो बीता सब है
किसी को लगता है मै शब्द चुराता हूँ
किसी और की लिखी को लिखवाता हूँ!!

दुनियां वैसी तो नहीं जैसी बो देखते है
मै मन से लिखता हूँ बो सिर्फ आंखे सेंकते है
किसी की कमी निकालना उनकी आदतों मे शुमार है
लिख मै रहा हूँ गर्मी से हो रहा उनको बुखार है!!

मै लिखता वही हूँ जो मन मे मेरे विचार है
कुछ एक प्रकाशित की, लिखी मैंने हज़ार है
मुझे नहीं लालसा कि मेरा नाम हो खबरों पर
मै खुद मे गर्वान्वित हूँ अपनी ही नजरों पर!!

अपनी कलम से मै एक राह दिखाने आया हूँ
किसी को लगता है मै सिर्फ वाह-वाह पाने आया हूँ
अपने आप को कवि कहुँ ऐसी मेरी औकात नहीं
बारिश सर्फ़ मेरे आंगन मे हो ऐसी कोई बरसात नहीं!!

टूटी-फुटी ही सही पर लिखता अपने मन का हूँ
ना लालसा प्रसिद्धि की, ना लोभ रखता धन का हूँ
समाज की बातो का मै कलम से दर्पण दिखता हूँ
बस समाजिक होने का अपना फ़र्ज निभाता हूँ!!

लिखता जो बाते जरुरी नहीं सभी को पसंद आए
कुछ चुभी भी होगी, जरुरी नहीं सभी को आनंद आए
एक-एक शब्द खुद कलम से बुनकर बनाया धागा है
धागा कच्चा ही सही पर पक्का मेरा इरादा है!!
एक भी शब्द सुरेंद्र का चुराया हुआ मिल जाए
तो मै लिखना छोड़ दूँ मित्रो ये मेरा वादा है!!
-सुरेंद्र राठौर