...

12 views

हर रात काली हर रात मृत

कितनी ही रातें तेरे इंतज़ार में जाग कर काटी हैं
मगर हर रात काली हर रात मृत ही हाथ आई है,

बेहिसाब जज़्बात बेइंतेहा तड़प दिल में सुलगते हैं
आंखों में ख़्वाब नहीं आंसुओं की झड़ी हाथ आई है,

रात ही काली नहीं, नसीब भी काला संग पाया...