उड़ता परिंदा
मैं उड़ता परिंदा
बस उड़ता जा रहा हूं
सुख में भी, दुख में भी
बस बढ़ता जा रहा हूं
आए हज़ार हवा के झोके
चाहे पर्वत रास्ता रोके
मैं हूं राही अपनी धुन का
अपनी धुन में सवार
चलता जा रहा हूं
मैं उड़ता परिंदा
बस उड़ता जा रहा हूं।
© Sanदेश
बस उड़ता जा रहा हूं
सुख में भी, दुख में भी
बस बढ़ता जा रहा हूं
आए हज़ार हवा के झोके
चाहे पर्वत रास्ता रोके
मैं हूं राही अपनी धुन का
अपनी धुन में सवार
चलता जा रहा हूं
मैं उड़ता परिंदा
बस उड़ता जा रहा हूं।
© Sanदेश