आखिरी दिन मेरा ऐसा हो
सोइ थी गहरी निंद्रा में मरने का स्वपन नज़र आया
आखिरी दिन मेरा कैसा होगा ये विचार मन में आया
मन चंचल सा विचरण करता गया फिर एक मुकाम पर ये आया
मुस्कराहट हो होटों पर आखिरी दिन मेरा ऐसा हो
कोई काम अधूरा न छुट्टे जिम्मेदारी का कोटा पूरा हो
मैं मस्त...
आखिरी दिन मेरा कैसा होगा ये विचार मन में आया
मन चंचल सा विचरण करता गया फिर एक मुकाम पर ये आया
मुस्कराहट हो होटों पर आखिरी दिन मेरा ऐसा हो
कोई काम अधूरा न छुट्टे जिम्मेदारी का कोटा पूरा हो
मैं मस्त...