Holi love and romantic poetry
हर रंग फिका है प्रेम रंग के आगे
होली का रंग भी तब ही मनभावन लागे
जब साथ में हो वो
जिससे जुड़े हो मोह के धागे
उन पर क्या चढ़े होली का रंग
जो रंग चुके प्यार के रंग में
उन पर क्या हो भंग का असर
जो मतवारे हैं प्रेम के भंग में
मुझे होली की नहीं
तेरी प्रीत के रंग रंगना है
मुझे किसी के साथ नहीं
बस तेरे साथ जीना है
रंग जो लगा है तेरे प्यार
रंग वो कभी ना छूटे
हर रंग छूटे ज़िन्दगी का
तुझसे प्रीत कभी ना छूटे
सदा खुश सदा खुश रहूँ मैं
मुझे जीने का ऐसा ढंग दो
लाल नहीं, पीला नहीं
मुझे अपने रंग में रंग दो
खूब मजेदार होगी होली
जब तुम रंग लगाओगे
पिचकारी से या गुलाल से
बताओ, कैसे रंग लगाओगे
होली का ये रंग तो छूट जाएगा
पर तेरे प्रेम का रंग नहीं छूट पाएगा
ये होली तभी लुभावन होगी
जब तू अपने हाथो से गुलाल...
होली का रंग भी तब ही मनभावन लागे
जब साथ में हो वो
जिससे जुड़े हो मोह के धागे
उन पर क्या चढ़े होली का रंग
जो रंग चुके प्यार के रंग में
उन पर क्या हो भंग का असर
जो मतवारे हैं प्रेम के भंग में
मुझे होली की नहीं
तेरी प्रीत के रंग रंगना है
मुझे किसी के साथ नहीं
बस तेरे साथ जीना है
रंग जो लगा है तेरे प्यार
रंग वो कभी ना छूटे
हर रंग छूटे ज़िन्दगी का
तुझसे प्रीत कभी ना छूटे
सदा खुश सदा खुश रहूँ मैं
मुझे जीने का ऐसा ढंग दो
लाल नहीं, पीला नहीं
मुझे अपने रंग में रंग दो
खूब मजेदार होगी होली
जब तुम रंग लगाओगे
पिचकारी से या गुलाल से
बताओ, कैसे रंग लगाओगे
होली का ये रंग तो छूट जाएगा
पर तेरे प्रेम का रंग नहीं छूट पाएगा
ये होली तभी लुभावन होगी
जब तू अपने हाथो से गुलाल...