...

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रास्ते और भी हैं
मत हो उदास, मेरी जान कि ,में अभी हारा नहीं हूँ
सफ़र बाकी है , मंज़िलें और भी हैं, रास्ते और भी हैं.

रूठ गई जिससे बहारें , उस चमन के सूखने पर
टूट मत , बाग़ और भी हैं आगे बहारें और भी हैं.

चलने का शौक़ीन हूं , रुक जाऊँ ,ये मुमकिन नहीं
तू ना सही, कोई नहीं, अभी कारवां और भी हैं

मैं यहाँ अकेला फ़क़ीर हूँ  ,अपनी तरह का साहेब
मत इतराओ कि, तुमसे यहाँ बादशाह और भी हैं

बड़े बेदिल इन महलों की दीवारों में जो दम घुटने लगे
आना मेरी झोंपड़ी में दिल है और दिल में जगह और भी है .

देखकर लहरों की चुप्पी धोखा ना खा, पत्थर ना फैंक
समन्दर है ये और समंदर में तूफ़ान अभी और भी हैं.

उड़ने को मैंने पंख क्या फैलाए , तुम तो डर गए
तुम्हारा ही एक आस्माँ नहीं , जहाँ में आसमान और भी है

© बदनाम कलमकार
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