...

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रास्ते और भी हैं
मत हो उदास, मेरी जान कि ,में अभी हारा नहीं हूँ
सफ़र बाकी है , मंज़िलें और भी हैं, रास्ते और भी हैं.

रूठ गई जिससे बहारें , उस चमन के सूखने पर
टूट मत , बाग़ और भी हैं आगे बहारें और भी हैं.

चलने का शौक़ीन हूं , रुक जाऊँ ,ये मुमकिन नहीं
तू ना सही, कोई नहीं, अभी कारवां और भी हैं

मैं यहाँ...