...

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❤️❤️जाति विशेष❤️❤️
खाने को ना बची है रोटी
ना पीने को जल है।
वर्तमान का नाश हो रहा
अंधेरे में कल है।
उच्च कोटि का समझे खुद को
सीना चले फुलाए।
थोथे सभी आचरण इनके
देख लोग मुस्काए।
उच्च वर्ग का लगा के ठप्पा
मुस्काए, हर्षाए।
लेकिन असली मर्म 'वर्ग' का
इन्हें समझ न आए।
बात हमारी समझ सको तो
सुनो कथित 'गणमान्य'।
बस S.C. , S.T. विशिष्ट हैं
और आप समान्य।
अस्सी प्रतिशत अंक प्राप्त कर
आप बनो चपरासी।
छप्पन प्रतिशत पाने वाले
बनते हैं अधिकारी।
अब तो केवल एक काम ही
बचा हुआ है शेष।
इनकी करते रहो चाकरी
जो हैं जाति 'विशेष'।

✒️कौशल किशोर सिंह