...

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बताओ करोगी क्या
बातें अभी भी अधूरी है मेरी इन्हे मुकम्मल करोगी क्या
चाहिए कुछ वक्त तुम्हारा एक शाम मेरे नाम करोगी क्या
दिल के ज़ख्म अब भी वेशुमार दर्द दे रहे मुझे
तुम इन पर मरहम करोगी क्या
सुना है मिला है तुम्हे रकीब से दोखा इसबार
तुम फिर से मुझसे मोहब्बत करोगी क्या
आना इस बार तो लहजे में शर्म और आंखों में माफी लाना
देखो मुददते हुई खुद को संभालते संभालते
एकबार फिर मुझे बर्बाद करोगी क्या

© Anshu