ग़ज़ल
ख़बर तुमको नहीं पर वो निहाँ है
तुम्हारी ज़ुल्फ में इक कहकशाँ है
मुझे चाहत नहीं छूने की तुमको
तुम्हारा लम्स ही मुझमें रवाँ है
मैं बूढ़ा जिस्म से बेशक हुआ हूँ
मगर दिल आज भी मेरा जवाँ है
तुम्हें बस...
तुम्हारी ज़ुल्फ में इक कहकशाँ है
मुझे चाहत नहीं छूने की तुमको
तुम्हारा लम्स ही मुझमें रवाँ है
मैं बूढ़ा जिस्म से बेशक हुआ हूँ
मगर दिल आज भी मेरा जवाँ है
तुम्हें बस...