गुजरते सालों में हम बदले बहुत है
गुजरते सालों में हम बदले बहुत है
ठोकरे खाकर हम सम्हलें बहुत है
नसीहते तुम्हारी मेरे काम की नहीं
हम सरफिरे से है, पगले बहुत है
अपने ही दीवारों में सुराख करते है
हमारे यहाँ ऐसे दोगले बहुत है
किरदार में सख्ती यूँ ही आती नहीं
किसी की अदाओ पर पिघले बहुत है
अब बात होती नहीं, पर क्या करे
हमारे उनके बिच मसले बहुत है
ठोकरे खाकर हम सम्हलें बहुत है
नसीहते तुम्हारी मेरे काम की नहीं
हम सरफिरे से है, पगले बहुत है
अपने ही दीवारों में सुराख करते है
हमारे यहाँ ऐसे दोगले बहुत है
किरदार में सख्ती यूँ ही आती नहीं
किसी की अदाओ पर पिघले बहुत है
अब बात होती नहीं, पर क्या करे
हमारे उनके बिच मसले बहुत है