...

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ईन्सानियत की हार।
जातीवाद सिर पे चढ़ा है,
लुटेरों की धाड़ है।
अब तो जाग जावो ईन्सानों,
यह तो ईन्सानियत की हार है।
हर धुर्त का एक ही नारा है,
मजहब मेरा मुझे जान से प्यारा है।
झाँसे में मत आना इनके यारो,
यह तो आपस में लडवाने का हथियार है!
अब तो जाग जावो ईन्सानों,
यह तो ईन्सानियत की हार है।
हर देश एक ही बात बोले,
हम आतंकवाद के खिलाफ है।
मगर कैसे मिलते उनको बम हथियार,
बस राज की ये तो मार है।
अब तो जाग जावो ईन्सानों,
यह तो ईन्सानियत की हार है ।
ईन्सान ही ईन्सान को काट रहा है,
मचा हर तरफ हाहाकार है।
जल रही है मानवता,
दिखता आगे बस अंधकार है।
अब तो जाग जावो ईन्सानों,
यह तो ईन्सानियत की हार है ।




© शिवाजी