...

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रहा ना अभी कुछ
#माहौल

रहा ना अभी कुछ ज़रूरी
रही तो फ़क़त ये दूरी
रहें तो कैसे यहां अब
प्रेमधुन ही बनी बेसूरी

एक वक्त तुम मेरे थे
मेरी यादों में पागल
मेरी चाह में बेहाल
मेरी सोहबत के आदि
मेरी बाहों के बेताब

रहा ना अभी प्यार पागल
रही ना मिलने की हालत
बाहों में लिपटी कोई और है
बूरी बन गई मेरी सोहबत

एक वक़्त तुम कहते थे
धरती को अंबर सा
नदियों को समंदर सा
जुनून था जितना दुनिया का
वैसा जुनून सिकंदर सा

रहा ना अभी कुछ उस वक़्त जैसा
रही ना महोब्बत या जुनून भी वैसा
रहा ना तुम्हारे ख़यालों में भी अब मैं
यही इश्क़ है तो करना है कैसा

© Pavan