...

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उजड़ी सी जो हैं रातें बदनाम हम हैं
उजड़ी सी जो हैं रातें बदनाम हम हैं
उलझी सी जो हैं बातें गुमनाम हम हैं

तेरी समझ से ग़र्ज़ नहीं हमें अब इतनी
तेरी बेज़ारी से अब तक बेकाम हम हैं

आंधियां यूंही नहीं आती शहर मै
शायद किसी गुनाह के सरंजाम हम हैं

घर के दर ओ दीवार हमें कोसते हैं
इस हद तक तन्हाई से बदनाम हम हैं

सुनो आज नहीं लौटा तो नहीं लौटना कभी
इस खुदगर्ज़ी से बहुत बदगुमान हम हैं

© Sarim