...

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अपूर्ण
#लालसा_की_प्रतिध्वनि

छूटते हाथ, छूटते साथ,
टूटते सपने और खोते जज़्बात
एक बार भी मुड़ न सके तुम और हम
अपने दिल को चाक़ कर लिया
अरमानों को दबा कर , होंठों को सी लिया
कहीं बची थी ,जो आंखों में उम्मीदें
आंखें फेर कर उनको तोड़ दिया
अब हम तन्हा और तुम अकेले
निकल पड़े सफ़र पर अकेले अकेले






© Sahiba (PS)