...

12 views

इतनी सी गुज़ारिश
इतनी सी गुज़ारिश......

बसंत सी तू है, पतझड़ सा हूँ मैं
तू सावन की घटा सी, और शीत लहर सा हूँ मैं
तू सुबह का कोलाहल है, हूँ मैं रात का सन्नाटा
तू साज है वीणा सी, मेरा तुझसे तार सा नाता
तू कोमल है कली सी, मैं भंवरा एक काला सा
तू सागर से निकली नदी सी, मैं नदी से निकला नाला सा
तू चन्द्रिका है चाँद की, मैं छाया काली घटा सा
तू बन घटा मुझपे बरस,...