...

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एहसास
कहने को सब पानी है
पर नदियों का एहसास नहीं
दामन मेरा खाली है
और कोई मेरे पास नहीं

जिसको अपना समझा था वो
गैरों से बत्तर निकले
जिस पे जताया इतना भरोसा
वो ही मेरा कतल कर निकले

किसको कितना क्या-क्या बताएं
खुद पर बीती क्या समझाएं
चाहत भी अब रह ना गई है
तू ही बता अब क्या चाहे

जाने किसकी नज़र लग आई है
शौहरत सारी राख हुई है
दर्द हुआ पर एहसास नहीं है
जिंदगी जिंदा लाश हुई हैं




© Abhishek maurya