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एहसास
कहने को सब पानी है
पर नदियों का एहसास नहीं
दामन मेरा खाली है
और कोई मेरे पास नहीं
जिसको अपना समझा था वो
गैरों से बत्तर निकले
जिस पे जताया इतना भरोसा
वो ही मेरा कतल कर निकले
किसको कितना क्या-क्या बताएं
खुद पर बीती क्या समझाएं
चाहत भी अब रह ना गई है
तू ही बता अब क्या चाहे
जाने किसकी नज़र लग आई है
शौहरत सारी राख हुई है
दर्द हुआ पर एहसास नहीं है
जिंदगी जिंदा लाश हुई हैं
© Abhishek maurya
पर नदियों का एहसास नहीं
दामन मेरा खाली है
और कोई मेरे पास नहीं
जिसको अपना समझा था वो
गैरों से बत्तर निकले
जिस पे जताया इतना भरोसा
वो ही मेरा कतल कर निकले
किसको कितना क्या-क्या बताएं
खुद पर बीती क्या समझाएं
चाहत भी अब रह ना गई है
तू ही बता अब क्या चाहे
जाने किसकी नज़र लग आई है
शौहरत सारी राख हुई है
दर्द हुआ पर एहसास नहीं है
जिंदगी जिंदा लाश हुई हैं
© Abhishek maurya
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