...

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अनुभव अपार
सोचता हूँ कभी मैं भी चलूँ तेरी डगर में
डरता हूँ कहीं गिर न जाऊं अपनी नजर में
झूठ की दुनिया है तेरी सच के साथ तेरा क्या है वास्ता
तू गली मक्कार की ,मेरा सच का रास्ता
अंधों की आंखे बनकर तूने उन्हें लँगड़ा बना दिया
प्यार की हर बात को तूने झगड़ा बना दिया
राहत मिली तुझे चाहत को तोड़कर
आयी है न जाने तू कितनो को छोड़कर

काँटो में लगी फूल स सूरत है तेरी
धतूरे में लगी हो जैसे शहद वो सीरत है तेरी

तारीफ तेरी क्या करूँ शब्द कम...