दूर
#दूर
दूर फिरंगी बन कर घूम रहा कोई,
मन बंजारा कहता है ढूंढ रहा कोई;
वृक्ष विशाल प्रीत विहार कर रहा कोई
ना मिली मंजिल फिर भी चल रहा है कोई..
जीवन की इस रेस मे सब भाग रहे है
सुख चैन को छोडकर दुःख झेल रहे है
करनी...
दूर फिरंगी बन कर घूम रहा कोई,
मन बंजारा कहता है ढूंढ रहा कोई;
वृक्ष विशाल प्रीत विहार कर रहा कोई
ना मिली मंजिल फिर भी चल रहा है कोई..
जीवन की इस रेस मे सब भाग रहे है
सुख चैन को छोडकर दुःख झेल रहे है
करनी...