...

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चीखों की पुताई
#अकेलास्ट्रीटलाइट

किस्सों कहानियों का ,
एक बड़ा सा तबका गुजरता है हर रोज,
उन स्ट्रीटलाइट के खंभों के नीचे,
जहां हर रोज मरती हैं हजारों चीखें,
और जन्म लेती हैं असंख्य आशाएं,
लालटेन उसी जमाने में रह गई,
दलाने के दिए भी बुझ गए,
जुगनू तो खैर,
आधुनिकता के दौर में मर ही गए,
सीमित थी जो कहानियां,
घर की चारदीवारी में,
उखड़ के बाहर आ गई दलाने में,
दलाने से सड़क पर,
और अब सड़क पर से,
स्ट्रीटलाइट के खंभों के नीचे,...