चुलबुली सी इक लड़की..
चुलबुली सी इक लड़की..
कब समझदार हो गई पता ही न चला..
पहले करती थी बहुत शरारतें..
अब है उसको जमाने की सोच का पता चला..
अल्हड़पन में बस बीतता है बचपन..
और जवानी में रखना पड़ता है कदम संभाल कर ये भी उसे अब पता चला..
वक्त कैसे बीत जाता है.....
कब समझदार हो गई पता ही न चला..
पहले करती थी बहुत शरारतें..
अब है उसको जमाने की सोच का पता चला..
अल्हड़पन में बस बीतता है बचपन..
और जवानी में रखना पड़ता है कदम संभाल कर ये भी उसे अब पता चला..
वक्त कैसे बीत जाता है.....