बेहाल
लहरों की आश में समुद्र बहा दिये,
बसंत ऋतु मे पतझड़ ला दिये,
ठहराव के किनारे कमजोर निकले
जब आह भरते हुए दर्द भरे अल्फाज न निकले,
किस गम के मारे ये सबने...
बसंत ऋतु मे पतझड़ ला दिये,
ठहराव के किनारे कमजोर निकले
जब आह भरते हुए दर्द भरे अल्फाज न निकले,
किस गम के मारे ये सबने...