...

17 views

वादे मत कर
यादें कैद इस दिल में आज भी है पर कहता हू खुद से, उन्हे याद मत कर।
मोहब्बत जो उस वक़्त की थी तुमसे, उसे आज मेरे अंदर ज़िंदा समझते की भूल मत कर।

मेरा दिल तोड़ कर टुकड़ो मैं बिखेर कर जब गई थी,
आज अपने साथ होने पर मुझे याद मत कर।

कितनी शाम तेरे उन नरम हाथों में रखा था मैंने अपना सर,
कितनी बाते करी थी, कितनी दफा तेरी लतों को मैंने अपने हाथों से पीछे किया था, अब उन लम्हो को याद मत कर।

तेरा नाम याद करने भर से जो ज़ख्म फिर हरे हो जाते है, अब उन्हें भरने की कोशिश मत कर।

अपने रुआंसी आवाज़ में माफी मांग कर मेरे संभलते हुए दिल को फिर से अपनी यादों के समंदर में डुबाने की कोशिश मत कर।

कहने को तो यह सब बातें है, मगर देख कर तुझे आज अपने दरवाज़े पर खुद मैं ही रह गए है, यह अल्फ़ाज़ सिमट कर।


इतना ही कहना है, इस बार भी अगर तोड़ना है दिल मेरा और जाना है ख्वाबों को बिखेर कर।

तो खुदा कसम फिर से झूठे वादे मत कर,
इस दिल को करीब बुला कर साथ निभाने के वादे मत कर


© inked_heights