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उस हादसे के बाद, कुछ जख्म, रूह तक गहरे है
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उस हादसे के बाद, कुछ जख्म, रूह तक गहरे है,
मानू, चाहे न मानू, उनके मुझ पर पहरे है।
अब कुछ जगहों से गुजरु,
या गुजरू अंदर की राख से,
तब होती है मुलाकात, उस पुरानी सांझ से,
जब हमारा कोई और संसार नहीं था ,
कुछ और नही, स्वर्ग का सार यहीं था।
दौड़ता था काफ़ी पहले, कि वो पकड़ न ले,
अब जो दौड़ रहा हु, पीछे हवाए तक न बहे।
वो केवल जगहें नही, अतीत का घेरा है,
जिसमे आना–जाना,
बस मन का फेरा है–२।।
© AshR
उस हादसे के बाद, कुछ जख्म, रूह तक गहरे है,
मानू, चाहे न मानू, उनके मुझ पर पहरे है।
अब कुछ जगहों से गुजरु,
या गुजरू अंदर की राख से,
तब होती है मुलाकात, उस पुरानी सांझ से,
जब हमारा कोई और संसार नहीं था ,
कुछ और नही, स्वर्ग का सार यहीं था।
दौड़ता था काफ़ी पहले, कि वो पकड़ न ले,
अब जो दौड़ रहा हु, पीछे हवाए तक न बहे।
वो केवल जगहें नही, अतीत का घेरा है,
जिसमे आना–जाना,
बस मन का फेरा है–२।।
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