विरोधी स्वयं के!!!
अपने... विरोधी
नाते... विरोधी
जग... विरोधी
कभी कभी हम भी विरोधी स्वयं के!!
तदोपरान्त साथ है फिर भी तेरे ....
वो जीर्ण सा विश्वास...
मरी मरी सी आस...
अवचेतन हृदय...
स्वप्न बिखरते....
और साथ है सदा...
एक वो शक्ति...
जो असीमित है......
नाते... विरोधी
जग... विरोधी
कभी कभी हम भी विरोधी स्वयं के!!
तदोपरान्त साथ है फिर भी तेरे ....
वो जीर्ण सा विश्वास...
मरी मरी सी आस...
अवचेतन हृदय...
स्वप्न बिखरते....
और साथ है सदा...
एक वो शक्ति...
जो असीमित है......