नींद पलको में उलझ कर....
नींद पलको में उलझ कर कहीं खो गई
याद तेरी पास जाकर सो गई ।।
दूर से आती हुई ठंडी हवा
कल्पना की बीज मन में बोगई।।
चांद की किरणों की बारिश की फुहार
प्यार से नाराजगियो को धो गई ।।
आग भड़कने लगी तन्हाईयां
धड़कनों से रोशनी सी हो गई ।।
वे वजह बेचैन होकर चांदनी
रूठ कर शबनम के आसू रो गई।।
सुबह ने किस्सा बताया रात का
किस कदर मायूस होकर वो गई ।।
याद तेरी पास जाकर सो गई ।।
दूर से आती हुई ठंडी हवा
कल्पना की बीज मन में बोगई।।
चांद की किरणों की बारिश की फुहार
प्यार से नाराजगियो को धो गई ।।
आग भड़कने लगी तन्हाईयां
धड़कनों से रोशनी सी हो गई ।।
वे वजह बेचैन होकर चांदनी
रूठ कर शबनम के आसू रो गई।।
सुबह ने किस्सा बताया रात का
किस कदर मायूस होकर वो गई ।।
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