...

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कुछ याद नही रहता
मुझे कुछ याद नही रहता...
सब जानता हूँ, कुछ नही कहता।।

वो पहली बार जब मिले
न बने कोई सिलसिले
दिल मे थे न कोई गिले
चाहा नही कि फिर मिलें

न कोई थी ख्वाहिश
न कोई थी बंदिश
उनका मिलना मुझसे
थी वक़्त की साज़िश

ग़लती मेरी न थी
ग़लत वो भी न थे
जुदा पहले से ही
उनके रास्ते थे

फिर मिलेंगे या नही
कोई जानता नही
नाउम्मीदी नही
है उम्मीद भी नही...

मुझे कुछ याद नही रहता...
सब जानता हूँ, कुछ नही कहता।।
© rbdilkibaat