...

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कुछ खट्टे कुछ मीठे लम्हें
मेे यारों....ये ज़ायका-ए-दावत-ए-ज़िंदगी ज़रा तो चख लो,
मुस्कान और अश्क दोनों ही लब-ओ-निग़ाह पर रख लो !!

हाँ....कुछ खट्टे कुछ मीठे लम्हों का नाम ही तो ये ज़िंदगी है,
ज़िंदगी की हर एक मेज़बानी को थोड़ा रुक कर परख लो !!

ये नौक-झौंक,ये शरारत भरे पल लौट के न आएँगे फ़िर कभी,
अपनों की मौजूदगी में, हर मौसम तुम फूलों-से, महक लो !!

लम्हें तो एक दिन बीत जाएँगे, रह जाएगी तो फ़क़त यादें ही,
फैला कर बाहें, लम्हों के संग रिश्तों के आसमाँ में चमक लो !!

तो संजो लो आज कुछ खट्टे कुछ मीठे लम्हें तुम भी अभी से,
कल किसने देखा, आज इन लम्हों में इत्मिनान से धड़क लो !!
© Mayuri Shah
@Mayuri1609