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दूर फिरंगी बन कर घूम रहा कोई
#दूर फिरंगी बन कर घूम रहा कोई#

दूर फिरंगी बन कर घूम रहा कोई,
मन बंजारा कहता है ढूंढ रहा कोई;
वृक्ष विशाल प्रीत विहार कर रहा कोई,
अंदर ही अंदर मचलता ख्वाब़ पल रहा कोई,
दिखता नहीं पर ख्याल में आ रहा कोई,
क्षणभंगुर है जीवन समझा रहा कोई
दूर फिरंगी बन कर घूम रहा कोई।
© pooja pandey