मानवता
जमीं, आसमां, छीन-झपट की ख्वाइश मन में पाल रहे हैं
शांति, बात के मुद्दों को हम बातों में ही टाल रहे हैं
पाकिस्तानी, तालीबानी, चीन, सीरिया या ईरानी
ऐसे नाम अनेकों हैं, जो दिखा रहे मन की मनमानी
देश बांटते लोग हों चाहे, आतंकी को रखने वाले
सबके सपने, सबके अरमां, सत्ता को हैं चखने वाले
भूख बढ़ी है क्यों इतनी, क्या मिट्टी को ही खाओगे?
मानव होकर कुछ मानवता के लक्षण अपनाओगे ?
तुमसे पहले कितने आए, तुम भी वैसे...
शांति, बात के मुद्दों को हम बातों में ही टाल रहे हैं
पाकिस्तानी, तालीबानी, चीन, सीरिया या ईरानी
ऐसे नाम अनेकों हैं, जो दिखा रहे मन की मनमानी
देश बांटते लोग हों चाहे, आतंकी को रखने वाले
सबके सपने, सबके अरमां, सत्ता को हैं चखने वाले
भूख बढ़ी है क्यों इतनी, क्या मिट्टी को ही खाओगे?
मानव होकर कुछ मानवता के लक्षण अपनाओगे ?
तुमसे पहले कितने आए, तुम भी वैसे...