...

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नेता या देश विक्रेता
बात बात में सोचा मैंने
अपनी भी कुछ बात कहूं
कैसी हालत है आज के नेताओं की
उस पर मैं अपने जज्बात कहूं//

मंच सजाकर क्या कुछ ना कहते
हे जनता जनार्दन! हम आपके सपने संजोएंगे
पर भोली जनता को क्या मालूम
यह नफरत की बीज मात्र ही बोएंगे//

आतंकवादी भी देखकर जिन्हे़ं शर्मा जाए
ये तो हमारे भी बाप निकले
जिनसे उम्मीद है पूरे देश को,
वही आस्तीन के सांप निकले//

चंद पैसौ में बिक जाते विधायक,
कल भाजपा तो आज कांग्रेस में
हजारों धाराएं लगी है इन पर
और प्रवचन देती है प्रेस कॉन्फ्रेंस में//

गालियां भी दे तो कम है इनको
इनकी सब पुस्तें हैं भ्रष्ट पड़ी
पर जनता को इन सब से क्या लेना
वह तो दारू, पैसो पर ही मस्त पड़ी//

बलात्कार, बेरोजगारी पर चुप्पी साधते
लूटने में लीन, ये जुल्म करना न मंद करें
ना जरूरत है इन देश की नाशूरो की
प्रभु! इन नस्लो का पैदा होना ही बंद करें//

  © नवीन गौतम की कलम से


© Navin Rishi