कुछ कर अब मेरा भी इलाज ऐ हकीम-ए-मुहब्बत,हर रात वो याद आता है और मुझसे सोया नहीं जाता।
उसे यकीन था खुद पे कि भूल जायेगा मुझे,
हमें भी दिल पे भरोसा था और याद रखे हैं।
जिससे चाहा था बिखरने से बचा ले मुझको,
कर गया तेज हवाओं के हवाले मुझ को।
मैं वो बुत हूँ कि तेरी याद मुझे पूजती है,
फिर भी डर है ये कहीं तोड़ न डाले मुझको।
बदली सावन की कोई जब भी बरसती होगी,
दिल ही दिल में वह मुझे याद तो करती होगी।
ठीक से सो न सकी होगी कभी ख्यालों से मेरे,
करवटें रात भर बिस्तर पे बदलती होगी।
यादों को भुलाने में कुछ देर तो लगती है,
आँखों को सुलाने में कुछ देर तो लगती है।
किसी शख्स को भुला देना इतना आसान नहीं,
दिल को समझाने में कुछ देर तो लगती है।
खुशबू की तरह आया वो तेज हवाओं में,
माँगा था जिसे हमने दिन रात दुआओं में।
तुम छत पे नहीं आये मैं घर से नहीं निकला,
ये चाँद बहुत...
हमें भी दिल पे भरोसा था और याद रखे हैं।
जिससे चाहा था बिखरने से बचा ले मुझको,
कर गया तेज हवाओं के हवाले मुझ को।
मैं वो बुत हूँ कि तेरी याद मुझे पूजती है,
फिर भी डर है ये कहीं तोड़ न डाले मुझको।
बदली सावन की कोई जब भी बरसती होगी,
दिल ही दिल में वह मुझे याद तो करती होगी।
ठीक से सो न सकी होगी कभी ख्यालों से मेरे,
करवटें रात भर बिस्तर पे बदलती होगी।
यादों को भुलाने में कुछ देर तो लगती है,
आँखों को सुलाने में कुछ देर तो लगती है।
किसी शख्स को भुला देना इतना आसान नहीं,
दिल को समझाने में कुछ देर तो लगती है।
खुशबू की तरह आया वो तेज हवाओं में,
माँगा था जिसे हमने दिन रात दुआओं में।
तुम छत पे नहीं आये मैं घर से नहीं निकला,
ये चाँद बहुत...