...

1 views

हम इस तरह से मिले...
वो बता रहा था
हम पहले एक मूवी गए
वहाँ कौने की सीट पकड़ ली
अरे यार फ़िल्म किसे देखनी थी
बस तीन घण्टे यूँ गुजर गए
तीन बार किस किया उसे

फिर हम एक रेस्टो में गए
वहाँ खाना खाया
फिर एक पार्क में बैठे रहे
उसके बाद मैंने उसे
ओला कैब में बिठाया
और उसकी गली के
छोर पर छोड़ आ गया

तू बता न तू भी तो
"उससे" मिल के आया
क्या क्या हुआ, कौनसी फ़िल्म देखी
कुछ किया कि नहीं
मैंने कहा
हम बिड़ला मंदिर चले गए
वहाँ भगवान को प्रसाद चढ़ाया

भगवान से अरदास की
हे ईश्वर, तुझे पता है
हम दोनों गलत हैं,
पर प्रभु तूने ही तो कहा है गीता में
तेरी मर्जी के बिना
एक पत्ता भी नहीं हिलता
हे ईश्वर, हमारा मिलना
प्रेम करना, या तो तेरी मर्जी है

या फिर एक पाप है
अगर ये पाप है, और इसकी सजा भी है
जो हम दोनों भुगतने के
लिए तैयार हैं,
ईश्वर तुझसे बगावत नहीं है
बस प्रेम है एक दूसरे से
या तो हमको मिला देना
या फिर मार देना
पर जन्म जन्म,
हर जन्म, बस इसी से मिलाना
जो इस वक़्त मेरे पहलू में है

हमने देर तक, मंदिर की सीढ़ियों पर बैठ
बहुत सी बातें की, कुछ कविता सुनाई
कुछ यूट्यूब पर गाने सुने
एक दूसरे की बहुत तारीफें की
फिर हमने, मंदिर में चढ़ाया प्रसाद
आधा आधा बांट लिया
मैं उसे एक दुकान पर ले गया
उसने मुझे
एक पेंट शर्ट का कपड़ा दिलाया
मैंने उसे एक साड़ी दिलाई,
उस दिन साड़ी दिवस भी था न

हा हा, वो हँसा
कितना बुध्दु है तू
अरे कोई डेट पर मंदिर जाता है क्या
कोई फ़िल्म देखता, कौने की सीट लेता
किस करता
रेस्टो ले जाता
कैब में हाथ पकड़ता,
साला प्रसाद आधा आधा बांट लाया
सुन, तू पूरा डफर है
प्रेम व्रेम तेरे बस की बात नहीं
मैं केवल मुस्कुराया
मुझे उस जैसा प्रेम नहीं आता
उसे मुझ जैसा
हाँ , वो अपनी जगह सही था शायद
मैं बुध्दु ही तो हूँ
प्रेम के मामले में

संजय नायक"शिल्प"
© All Rights Reserved