क्यूं ?
बंध रही हूं या उलझ रही हूं
क्यूं नहीं मैं खुद को समझ पा रही हूं ?
नहीं होती हैं जब मुलाकातें
इंतजार में जीती हूं
मिलने के बाद क्यूं इतना रोती हूं ??
कभी यकीन ज्यादा होता है
कि पाया है तुझे, देख लकीरों को
फिर भी क्यूं लगता है खाली हाथ हूं मैं ???
क्यूं नहीं मैं खुद को समझ पा रही हूं ?
नहीं होती हैं जब मुलाकातें
इंतजार में जीती हूं
मिलने के बाद क्यूं इतना रोती हूं ??
कभी यकीन ज्यादा होता है
कि पाया है तुझे, देख लकीरों को
फिर भी क्यूं लगता है खाली हाथ हूं मैं ???