...

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मुझे याद है,क्या तुझे भी याद है?
मुझे याद है
क्या तुझे भी याद है?
हम जब क्लास से निकल
गप्पे लड़ाने किसी मैदान, नंदन,
या विक्टोरिया मेमोरियल जाया करते थे
ग्यारह लोगों में मैं इकलौती लड़की थी।।

मुझे याद है,
क्या तुझे भी याद है?
डर क्या था न पता था,
न महसूस किया था।
अरे, उन बाइस हाथों में
मैं महफूज़ जो थी।।

मुझे याद है
क्या तुझे भी याद है?
किसी ने नज़र भर देखा नहीं
किसी ने चहरे से निचे तक
नज़रे उतारी नहीं...
मैं अकेली न हो जाऊं
इसलिए किसी ने हाथ छोड़ा नहीं
कभी युहीं बीमार हुई
तो किसी ने फ़िक्र छोड़ी नहीं!!

मुझे याद है
क्या तुझे भी याद है?
खुश नसीब हूं मैं
उस भीड़ के आगे
जो मुझे तू मिला था।
मेरा साथ दिया था
न तन्हा होने दिया
ना कहीं खोने दिया।

मुझे याद है
क्या तुझे भी याद है?
शायद युहीं तेरे संभालने से
तेरी हो बैठी हूँ.....
तेरे साथ चलते चलते
हमराही बनने का ख़्वाब
सजा बैठी हूँ.....
मुझे मेरी धड़कनों में
तेरा नाम सुनाई देता है
मेरे चोंट पर
तेरी मरहम याद आती है।
मुझे याद है,
क्या तुझे भी याद है?



© KALAMKIDIWANI