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जीने का अन्दाज
*जीने का अन्दाज*

तुझे याद करके अपनी बेचेनियां दूर कर लेता हूं
इस तरह मैं इनका सस्ता सा इलाज कर लेता हूं

सुकून सा मिलता है तेरा ख्याल आते ही मुझको
सबके लिए खुद को मैं खुशमिजाज कर लेता हूं

पाबन्दियों की अनेक जंजीरों से जकड़ा हूं मगर
तेरा हाथ पकड़कर खुद को आजाद कर लेता हूं

तेरी नसीहतों की वजह से वो मेरे करीब न आते
अपने गमों को मैं इस कदर नाराज कर लेता हूं

तेरी गोद में सर रखकर मिट जाती है मेरी थकान
गर्मजोशी से अगले दिन का आगाज कर लेता हूं

नायाब है तेरा हर सबक बेहतर जिन्दगी के लिये
उनको ही मैं अपने जीने का अन्दाज कर लेता हूं

*ॐ शांति*

*मुकेश कुमार मोदी, बीकानेर, राजस्थान*
© Bk mukesh modi