...

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सुकून तुझे मिला के नहीं... "
होती थी घुटन मुझसे, तेरा सुकून तुझे मिला के नहीं,
तेरे लिए मै तोह था कांटा, तु बता तेरा कमल खिला के नहीं,
मनै फाड़ा था नाह तुझे, उसने तुझे सिया के नहीं।
जहर साह कड़वा था मै, उसने अमृत रस दिया के नही,
मै तोह मर ग्या था तेरे लिए, आज तेरे लिए वोह जिया के नहीं,
दुख मे तेरे साथ नहीं था न मै, अब उसने सुख साथ दिया के नहीं,
मै तोह तेरे बदन का प्यासा था नाह, उसने इज़्ज़त, रूह का प्यार दिया के नहीं,
बेरंग था मेरा जीवन तोह, अब तेरा रंगो का त्यौहर मना के नहीं,
मै तोह नाकाम रहा, क्या उसने तेरा दिल छुवा के नहीं,

गरीब, बदसूरत, , किसी बदुआ साह था नाह मै,, आज क्या तुझे तेरा ऊंचा किसी दुआ सा, नवाब, साफ, पाक, हसीन मिला के नहीं।।

.........मै तोह बदनसीब ही सही, तुझे तेरा नसीब मिला के नहीं "
© मिक्की"